Thursday 23 July 2020

My Hindi Story

My Hindi story

                देश भक्त कव्वा

  बहुत समय पहले की बात है एक झांकल नाम की एक नगरी थी। वहां का राजा बहुत ही दयालु था मगर उसकी कोई संतान नहीं थी। राजा तो नहीं लेकिन रानी बहुत परेशान रहती थी। एक दिन रानी ने राजा जी को कहा की मैं तो आप को संतान नहीं दे पाई लेकिन अगर आप दुसरी शादी करवा ले तो हो सकता है इस देश को एक उतराधिकारी मिल जाए।इस राजा बहुत नाराज़ हुआ बोला की अगर आप ने ये बात दुबारा सोची बहुत बुरा होगा। संतान की अभी कोई जरूरत नहीं है और जब जरुरत होगी तब हो भी जाएगी। राजा ने तभी अपने सैनिक को कहा की राज पुरोहित को बुला लाओ। सैनिक गया और राज पुरोहित को बुला लाया। राज पुरोहित ने राजा जी बुलवाने का कारण पुछा:-

राज पुरोहित:   कहिये राजा जी! आप ने हमें क्यों बुलवाया?

राजा:   हम ये जानना चाहते हैं कि क्या हमें संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है?

राज पुरोहित:    जी राजन् , आप को संतान प्राप्ति हो सकती है लेकिन आप को एक काम करना होगा एक लाल मोतियों का हार रानी जी को पहनाना पड़ेगा।

राजा:      लाल मोतियों का हार? लाल मोती मिलेंगे कहां पर?

राज पुरोहित:     जी ये बहुत दुर सात समुंदर पार मिलेंगे।

राजा ने सोचा कि सात समुंदर पार जाऐगा कौन? 
उसने राज पुरोहित को कहा की तुम जाओ।
राज पुरोहित बोला की ठीक है राजन्
राजा ने तभी अपने सबसे विश्वसनीय नौकर को बुलाया और कहा कि पुरे देश में मुनियादी करवा दो की जो हमें लाल मोतियों वाला हार लाकर देगा हम उसे उचित ईनाम देंगे
नौकर ने कहा जी ठीक है राजन्।
ये सारी बातें एक कव्वा सुन रहा था।
कव्वे ने सोचा कि ये राजा बहुत ही दयालु है और इनकी जो संतान होगी वो भी दयालु हुई तो इस देश को अच्छा राजा मिल जाएगा। मैं तो बस इस राजा की मदद आवश्य करूंगा। यही सोचकर कव्वा अपने घोंसले की तरफ चला जाता है और थोड़ी देर के बाद घोंसले से निकलकर आता है अब उसकी चोंच में एक हार था जिसके लाल मोती चमक रहे थे। कव्वा यही सोच रहा था कि ये हार मेरे किसी काम का नहीं है लेकिन इसके कारण इस देश को एक अच्छा राजा मिल जाएगा। कव्वा यही सोच कर महल की तरफ चला गया और हार रानी के कमरे में रख कर वापिस अपने घोंसले में चला गया। जब राजा को रानी ने हार दिखाया तो राजा ने कहा कि जिस किसी ने भी ये हार लाकर दिया है हम उसे उचित ईनाम देंगे। तभी नौकर कहा राजन् ये हार कोई इंसान नहीं अपितु एक पक्षी देकर गया है। राजा हैरान रह गया और उसने पुछा क्या सच में ऐसा हुआ है। नौकर बोला जी राजन् ऐसा ही हुआ है। राजा ने तभी घोषणा करवा दी उस कव्वे का ईनाम हम दीन दु:खियो में बाट देंगे और उस कव्वे को देश भक्त कव्वे का दर्जा देंगे। कुछ दिनों के बाद राजा के घर में एक सुंदर से बच्चे ने जन्म लिया और पुरे देश में खुशियां मनाई गई। सभी ने कहा कि ये सब उस देश भक्त कव्वे के कारण हुआ। वो सच्चा देशभक्त था। और सभी खुशी खुशी रहने लगे। ये थी एक देश भक्त कव्वे की कहानी।

                                                                    समाप्ति
                                                                      🙏

  ||धन्यवाद||